Sunday, December 16, 2012

एक धुंद से आना हैं एक धुंद में जाना हैं !



ह्या आठवड्यात १४-डिसेंबर-२०१२ ला पडलेल्या दाट धुक्याने मला धुंद चित्रपटातील साहीर लुधियानवी ह्यांनी लिहिलेल्या आणि रवि यांनी संगीत बद्ध केलेल्या गाण्याची आठवण झाली. मला आवडणाऱ्या काही philosophical सुंदर गाण्यां पैकी हे एक अप्रतिम गाणे
संसारकी की हर शय का इतनाही फ़साना हैं 
एक धुंद से आना हैं एक धुंद में जाना हैं !

ये राह कहाँ से हैं ये राह कहाँ तक हैं 
ये राज़ कोई राही समझा हैं न जाना हैं !

एक पल की पलक पर है ठहरी हुई ये दुनिया 
एक पल के झपकने तक हर खेल सुहाना हैं !

क्या जाने कोई किस पल किस मोड़ पर क्या बीते 
इस रह में ऐ राही हर मोड़ बहाना हैं !






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