संसारकी की हर शय का इतनाही फ़साना हैं
एक धुंद से आना हैं एक धुंद में जाना हैं !
ये राह कहाँ से हैं ये राह कहाँ तक हैं
ये राज़ कोई राही समझा हैं न जाना हैं !
एक पल की पलक पर है ठहरी हुई ये दुनिया
एक पल के झपकने तक हर खेल सुहाना हैं !
क्या जाने कोई किस पल किस मोड़ पर क्या बीते
इस रह में ऐ राही हर मोड़ बहाना हैं !
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